Gehun ka samarthan mulya kya hai | गेंहू का समर्थन मूल्य घोषित, किसानों की हुई बल्ले बल्ले

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केन्द्र सरकार द्वारा रबी वर्ष 2023-24 के लिये फसलों के समर्थन मूल्य को मंजूरी प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य हो कि सरकार द्वारा फसलों की बुआई से पहले ही उनके समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी जाती है। सरकार द्वारा घोषित किये गये इस मूल्य के आधार पर सरकारी एजेंसिया गेहूं और दूसरी फसलों की खरीद करतीं हैं। इसी क्रम में भारत सरकार की ओर से फसली वर्ष 2023-24 के लिये गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और सूरजमुखी के लिये समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है।

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आइये जानते हैं कि भारत सरकार की ओर से इस वर्ष के लिये किस फसल का कितना समर्थन मूल्य घोषित किया गया है।

इस वर्ष गेंहूं का समर्थन मूल्य कितना है?

रबी वर्ष 2023-24 के लिये केन्द्र सरकार की ओर से गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

इस वर्ष जौ का समर्थन मूल्य क्या है?

केन्द्र सरकार की ओर से वर्ष 2023-24 के लिये जौ का समर्थन मूल्य 1735 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

इस वर्ष चना का समर्थन मूल्य क्या है?

केन्द्र की मोदी सरकार की ओर से वर्ष 2023-24 के चना का समर्थन मूल्य भी घोषित किया गया है। इस वर्ष सरकार द्वारा चना को 5335 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जायेगा।

सरसों का समर्थन मूल्य क्या है?

सरकार की ओर से वर्ष 2023-24 के लिये सरसों और रेपसीड के समर्थन मूल्य को 5450 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर निर्धारित किया गया है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है? | न्यूनतम समर्थन मूल्य का क्या अर्थ है? | Gehun ka samarthan mulya kya hai

न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को उनकी फसल का सरकार द्वारा घोषित किया गया एक मूल्य है, सरकारी एजेंसियांे द्वारा इस मूल्य से कम दरों पर फसलों की खरीद नहीं की जा सकती है। हालांकि बाजार का भाव समर्थन मूल्य से सीधे तौर से प्रभावित नहीं होता, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य बाजार को भी प्रभावित करता है।

MSP कौन तय करता है?

एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य भारत सरकार द्वारा तय की जाती है। इस मूल्य का फैसला सरकार द्वारा गठित किये गये कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की ओर से की गई सिफारिश के आधार सरकार द्वारा किया जाता है। रबी और खरीफ दो बार सरकार की ओर से एमएसपी घोषित किया जाता है।

गन्ना का समर्थन मूल्य कौन तय करता है?

रबी और खरीफ फसलों से इतर गन्ना का समर्थन मूल्य गन्ना आयोग द्वारा तय किया जाता है।

MSP की शुरूआत कब हुई?

एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रारम्भ सबसे पहले वर्ष 1966-67 में हुआ था। उस समय सबसे पहले गेहूं का समर्थन मूल्य 54 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था।

MSP से किसानों को क्या फायदा होता है?

एमएसपी से किसानों को सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि उन्हें बाजार के उतार चढ़ाव से होने वाले खतरे से बचाव का एक सहारा मिल जाता है। यानी यदि बाजार में किन्हीं कारणों से कीमतें गिरतीं भी हैं तो किसान अपनी फसल को सरकार को उसके द्वारा घोषित एमएसपी पर बेच सकते हैं। वहीं यदि बाजार में भाव एमएसपी से अधिक है तो किसान अपनी फसल को खुले बाजार में बेचने के लिये स्वतंत्र हैं। ऐसे में किसानों के दोनों हाथों में लड्डू रहते हैं।

2023 में गेहूं का समर्थन मूल्य क्या रहेगा?

रबी विपणन सीजन वर्ष 2023-24 के लिये केन्द्र सरकार की ओर से गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसी कीमत पर सरकार द्वारा गेहूं की खरीद की जायेगी।

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