Ethanol production plant in India – धान कटाई के बाद खेतों में ही पराली जलाने की घटनाओं से हैरान परेशान सरकार ने इसके स्थाई समाधान के लिये गंभीरता से विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में अब धान, मक्का, गेहंू, गन्ना आदि फसलों के अवशिष्ट से एथेनाॅल बनाये जाने के प्लांट लगाने को हरी झंडी दी गई है।
एथेनाॅल बनाने के इन प्लांटों में पराली, मकड़ेरा, गेहूं अपशिष्ट, गन्ने के पत्ते और खोई आदि जैसे कृषि के बेकार और अनुपयोगी माने जाने वाले हिस्सों से एथेनाॅल तैयार किया जायेगा। इसके लिये उद्यमियों के साथ साथ नये उद्योग स्थापित करने के इच्छुक युवाओं से भी आवेदन आमंत्रित किये जा रहे हैं।
पर्यावरण को होगा लाभ, लोगों को मिलेगा रोजगार | ethanol production plant in india
सरकार के इस प्रयास से जहां खेतों में पराली एवं दूसरे कृषि अपशिष्ट जलाने से पर्यावरण को होने वाली हानि को रोका जा सकेगा, वहीं लोगों को रोजगार भी मिलेगा। एथेनाॅल के साथ ही बायो गैस, बायो कोल, चारकोल जैसे उत्पादों को भी तैयार किया जायेगा।
कंबाइन मशीनों के प्रयोग से बढ़ी पराली की समस्या
दरअसल मजदूरी अधिक होने के कारण ग्रामीण अब अपनी फसलों को कंबाइन जैसी मशीनों से कटवाते हैं। इन मशीनों से फसल के ऊपर के हिस्से को काटकर गेहूं, धान आदि तो निकाल लिया जाता है, लेकिन पौधे का नीचे का हिस्सा खेत में ही रह जाता है। मजदूरी बचाने के चक्कर किसान इसे खेतों में ही जला देते हैं। बड़ी संख्या में पराली जलाने की घटनाओं से दिल्ली जैसे महानगरों का वातावरण ही कुछ समय के लिये बुरी तरह प्रदूषित हो जाता है।
पराली के भी मिलेंगे पैसे तो खत्म होगी समस्या
अब सरकार का प्रयास है कि किसानों से पराली को भी खरीद लिया जाये। इन उद्योगों में कच्चे माल के रूप में कृषि अवशिष्टों का ही प्रयोग होना है, ऐसे में प्लांटों की ओर से इनकी मांग बढ़ेगी जिससे किसानों को कमाई भी होगी।
फसल जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति को होता है नुकसान
खेतों में कृषि अवशिष्ट जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति को भारी नुकसान पहुंचता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा करने से मिट्टी की ऊपरी परत में मौजूद उर्वरा शक्ति नष्ट होती है, वहीं खेती के लिये लाभदायक और किसानों के मित्र माने जाने वाले सूक्ष्म जीव भी आग के कारण नष्ट हो जाते हैं। जिससे खेत की उत्पादन क्षमता पर अत्यन्त विपरीत प्रभाव पड़ता है।
उद्योग लगाने के लिये कहां आवेदन करें
कृषि अवशेष, बायोगैस, एथेनाॅल आदि से संबंधित उद्योग लगाने के लिये उद्यमी अपने जिले के नेडा कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। इसके साथ ही विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय में भी उद्यम स्थापित करने संबंध में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है।
एथेनाॅल क्या है?
एथेनाॅल एक प्रकार का अल्कोहल है, जिसका प्रयोग गाड़ियों में ईंधन के रूप में किया जाता है। इसी बायाॅडीजल भी कहा जाता है। एथेनाॅल का प्रयोग वर्तमान में पेट्रोल, डीजल आदि में मिश्रित करके किया जाता है। मुख्य रूप से एथेनाॅल का उत्पादन गन्ने की फसल के अपशिष्ट से होता है, लेकिन आधुनिक तकनीक के द्वारा धान, गेंहूं आदि के अपशेषों से भी एथेनाॅल तैयार किया जा सकता है।
एथेनाॅल का क्या काम है?
एथेनाॅल का प्रयोग वाहनों के ईंधन के रूप में, वार्निष बनाने में, दवाओं के निर्माण में, कृत्रिम रंग तैयार करने में, शराब तैयार करने आदि में किया जाता है।
पेट्रोल में एथेनाॅल क्यों मिलाया जाता है?
दरअसल एथेनाॅल में आॅक्सीजन मिली होती है, इससे ईंधन के पूरी तरह से जलने में मदद मिलती है। जिससे ईंधन का अच्छी तरह से प्रयोग संभव हो पाता है, और उत्सर्जन कम होता है। इसीलिये एथेनाॅल मिश्रित ईंधन से पर्यावरण को कम क्षति पहुंचती है।