गन्ने की नई किस्म 2022 | गन्ना की नई किस्म का कमाल 1 एकड़ में मिली 55 टन पैदावार | खर्च आधे से भी कम

गन्ने की फसल पैदा करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ने की एक नई किस्म का सफल परीक्षण किया है. गन्ने की प्रजाति में 1 एकड़ में 55 टन से भी अधिक उत्पादन प्राप्त होता है इतना ही नहीं खर्च में अन्य जातियों को बेचा आधे से भी अधिक की कमी देखने को भी मिली है इस नई प्रजाति में किसानों को कम पानी और उर्वरक का प्रयोग करना पड़ेगा, साथ ही फसल का रखरखाव भी गन्ने की अन्य प्रजातियों की अपेक्षा कम करना पड़ेगा. 

गन्ने की नई किस्म 2022
गन्ना की नई किस्म का कमाल 1 एकड़ में मिली 55 टन पैदावार

कीटों के हमलों से भी स्वयं को सुरक्षित रखने में सक्षम

भारत में कृषि समेत दूसरे सामाजिक क्षेत्रों में कार्य कर रहे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से केरल में हरित मिशन परियोजना  के द्वारा गन्ने की नई किस्म का सफल परीक्षण किया गया है. सीओ-86032 नाम की इस प्रजाति में सूखे और कीटों से हमलों के प्रति बहुत अधिक प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है. यही कारण है कि गन्ने की इस प्रजाति को सिंचाई की भी बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती. इसके साथ ही यह कीटों के हमलों से भी स्वयं को सुरक्षित रखने में सक्षम है।

गन्ने की इस किस्म के परीक्षण से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार गन्ने की नई किस्म पर सस्टेन शुगरकेन इनिशिएटिव  (एसएसआई) के लिए 2021 में पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया था. एसएसआई गन्ना की खेती के लिए एक ऐसी विधि है जिसमें कम से कम पानी कम गलियों और न्यूनतम उर्वरकों का प्रयोग करके फसल की अधिक पैदावार प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

गन्ने की बुवाई में लागत कम आती है

परियोजना में कार्य कर रहे कृषि वैज्ञानिक श्रीराम परमशिवम के अनुसार केरल के मरयूर में पारंपरिक रूप से गन्ने की गलियों का उपयोग करके सीयू 86032 किस्म की खेती की जाती रही है, लेकिन पहली बार इस परीक्षण में इस किस्म की गन्ने की पौध और बीज का इस्तेमाल खेती के लिए किया गया है. गन्ने की खेती के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों ने एसएसआई बिधि को पहले से ही लागू किया हुआ है. गन्ने की खेती की इस विधि के द्वारा गन्ने की बुवाई में लागत कम आती है और उत्पादन अच्छा मिलता है।

1 एकड़ में लागत महज 7.5 हजार

केरल के मरयुर निवासी गन्ना उत्पादक किसान विजयन का कहना है कि इस परीक्षण के दौरान 1 एकड़ जमीन में कुल 55 टन गन्ना की पैदावार प्राप्त हुई है. जबकि दूसरी किस्म के गन्ने में 1 एकड़ में मात्र 40 टन की पैदावार ही प्राप्त होती है. वहीँ गन्ने की दूसरी किस्मों में फसल बोने के समय 30,000 से अधिक गन्ना गलियों की आवश्यकता होती है. जबकि इस प्रजाति में सिर्फ 5000 पौध से ही 55 टन गन्ना का उत्पादन हुआ है.

दुनिया भर में प्रसिद्ध है मरयूर का गुड़

केरल का यह इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही गन्ने के द्वारा गुड़ बनाने की कला यहां पारंपरिक रूप से बहुत समृद्ध है. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में यहां का गुड़ अपनी क्वालिटी और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. दुनिया के कई देशों में यहां के विशेष गुड़ को निर्यात किया जाता है. इसके अलावा देश के कई बड़े होटलों में भी मरयुर का गुण अपना विशेष स्थान बनाए हुए हैं.

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